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समकालीन अस्मितामूलक विमर्श

By डॉ. मनीष कुमार   |   डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर , म.प्र.
Learners enrolled: 669


20 वी सदी विमर्शों की सदी है। इस सदी में समाज के सभी वंचित समूहों ने अपने हक, अधिकार और अपनी अस्मितागत पहचान के लिए निर्णायक लड़ाई छेड़ रखी है। ये लड़ाई किसी के विरूद्ध नही, बल्कि अपने पक्ष में लड़ी जा रही है। इन लड़ाइयों के पीछे एक सुविचारित दर्शन कार्य कर रहा है। हिंदी साहित्य के तीनों विमर्शों (दलित, नारी और आदिवासी) में समाज के इन वंचित वर्गों ने कहानी, कविता, उपन्यास, आत्मकथा और अन्य विधाओं के माध्यम से साहित्य जगत में मुख्य धारा का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इन तीनों विमर्शों में शोषित समाज के हक के लिए लेखन कार्य किया जा रहा है। यह तीनों विमर्श वर्तमान समय में देश के लगभग सभी विश्वविद्यालयों के हिंदी या अन्य भाषाओं के पाठ्यक्रम का हिस्सा है। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से बीए की सभी विद्यार्थी साहित्य की नई विधाओं से अवगत होंगे। समकालीन दौर के नये विषयों से छात्र- छात्राएं मुखातिब होंगे ओर यह कोर्स उनके लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
Summary
Course Status : Completed
Course Type : Core
Duration : 12 weeks
Category :
  • Language
Credit Points : 3
Level : Undergraduate
Start Date : 06 Aug 2019
End Date : 30 Oct 2019
Exam Date :

Page Visits



Course layout

WEEK 1 भारत में हाषिए का समाज भाग - 1

भारत में हाषिए का समाज भाग - 2

आदिवासी साहित्य : अवधारणा और इतिहास

 

WEEK 2 आदिवासी काव्य लेखन

आदिवासी कथा लेखन भाग - 1

आदिवासी कथा लेखन भाग – 2

 

WEEK 3 समकालीन अस्मिता मूलक (आदिवासी साहित्य) साहित्य :सामान्य परिचय

दलित साहित्य : अवधारणा और इतिहास

दलित कविता लेखन

 

WEEK 4 दलित आत्मकथा लेखन

दलित कथा लेखन

समकालीन अस्मितामूलक दलित विमर्ष (परिचर्चा)

 

WEEK 5 समकालीन अस्मिता मूलक (नारी साहित्य) साहित्य : सामान्य परिचय

हिन्दी साहित्य में नारी वादी लेखन :  अवधारणा और इतिहास

नारीवादी कविता लेखन

 

WEEK 6 नारीवादी कथा लेखन

स्त्री आत्मकथा लेखन

समकालीन अस्मितामूलक नारी विमर्ष (परिचर्चा)

 

WEEK 7 कविता पाठ :  परिचर्चा और विश्लेषण

अछूत की षिकायत-हीरा डोम, सदियों का संताप - ओमप्रकाष बाल्मिकि,

मै दूगा माकूल जबाब- असंगघोष।

स्त्रियाँ - अनामिका, मासूम भोली लडकी- सुषीला टाकभौरे, गांधारी- रीता दास राम

जंगल जल रहे - रामदयाल मुंडा, तुम्हारे एहसान लेने से पहले सोचना पड़ेगा हमें - निर्मला पुतुल, अघोषित उलगुलान -  अनुज लुगुन

 

WEEK 8 कहानी / उपन्यास पाठ :  परिचर्चा और विष्लेषण

यस सर(कहानी) - अजय नावरियाए

सिलिया (कहानी)   - सूषीला टाकभौरे

छप्पर (उपन्यास) - जय प्रकाष कदर्म

 

WEEK 9 कहानी / उपन्यास/आत्मकथा पाठ : परिचर्चा और विष्लेषण

बोलने वाली औरत(कहानी) - ममता कालिया

छिन्नमस्ता (उपन्यास) . प्रभा खेतान

एक कहानी यह भी (आत्मकथा)  -  मन्नू भंडारी

 

WEEK 10 कहानी / उपन्यास पाठ : परिचर्चा और विष्लेषण

पगहा जोरी जोरी रे घाटो (कहानी) - रोज केरकेट्टा

पलाष के फूल (उपन्यास)  - पीटर पाल एक्का

 

WEEK 11 अस्मितावादी अन्य गद्य विधाए ;आत्मकथा अंषद्ध पाठ :  परिचर्चा और विष्लेषण

मुर्दहिया (आत्मकथा) - तुलसीराम

दोहरा अभिषाप (आत्मकथा) - कौषल्या वैसंत्री

Books and references

1. वीर भारत तलवार- दलित साहित्‍य की अवधारणा, 
2. चिंतन की परंपरा और दलित साहित्य- श्योराज सिंह बेचैन
3. भारतीय दलित साहित्‍य आंदोलन : एक संक्षिप्त इतिहास - मोहनदास नैमिशराय 
4. ताकि बचा रहे लोकतन्त्र, लेखक - रवीन्द्र प्रभात                                                                 
5. दलित साहित्य के प्रतिमान : डॉ॰ एन० सिंह                                                                
6. अपने घर की तलाश में – निर्मला पुतुल
7. दलित चेतना कविता – रमणिका गुप्ता 
7. कलम को दर्द कहने दो – कर्मशील भारती 
8. सिलिया  – सुशीला टाकभोरे                                                                                 
9. आज का दलित साहित्य – डॉ. तेज सिंह 
10. दलित साहित्य का सोंदर्यशास्त्र -  शरण कुमार लिम्बाले 
11. दलित साहित्य का सोंदर्यशास्त्र -  ओमप्रकाश बाल्मीकि 
12. दलित विमर्श की भूमिका – कंवल भारती 
13. कलम को तीर होने दो- रमणिका गुप्ता 
14.आदिवासी साहित्य विमर्श – गंगा सहाय मीना 
15.नई सदी की पहचान : श्रेष्ट महिला कथाकार – ममता कालिया 
16.आदिवासी दर्शन और साहित्य – वंदना टेटे  
17.दलित साहित्य : बुनियादी सरोकार – कृष्ण दत्त पालीवाल
18.प्रतिमानों के सांचे में दलित विमर्श- डॉ. अरविंद कुमार , डॉ. मुकेश कुमार शुक्ल
19.दलित कहानी संचयन- रमणिका गुप्ता
20.कलम को तीर होने दो- रमणिका गुप्ता
21.दलित साहित्य वेदना और विद्रोह- शरणकुमार लिम्बाले
22. दलित चिंतन का परिप्रेक्ष्य संदर्भ : अक्करमाशी और जूठन – डॉ. अरविन्द कुमार 


Instructor bio




डॉ. मनीष कुमार
  ( 16 मार्च 1987, सवाई माधोपुर , राजस्थान )         

शिक्षा : स्कूली शिक्षा सरकारी स्कूल सेवा, गंगापुर सिटी सवाई माधोपुर, राजस्थान से बी.ए. की पढाई कोटा यूनिवर्सिटी, कोटा राजस्थान | परास्नातक एवं पीएच.डी.  की पढाई काशी हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी यू. पी. से |  

प्रकाशन : देश की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओ में लगभग 20 से ज्यादा शोध आलेख , आलोचना  एवं पुस्तक समीक्षा प्रकाशित विभिन्न पुस्तकों में 7 से अधिक अध्याय प्रकाशित | 20 से अधिक राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय संगोष्टी में आलेख वाचन |

आदिवासी कथा साहित्य और आदिवासी कविता साहित्य विषय पर दो सम्पादि पुस्तक प्रकशाधीन|

विभाग और विश्वविद्यालय स्तर की समिति मेम्बर के माध्यम से योगदान |


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