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Foundation Course of Prachin Nyay (न्यायशास्त्र)

By Prof. Mahanand Jha   |   Shri Lal Bahadur Shastri Rashtriya Sanskrit Vidyapeetha
Learners enrolled: 343

भारतीय शास्त्रीय वाङ्मय में दर्शन का स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यह दर्शन आस्तिक तथा नास्तिक के भेद से दो प्रकार का होता है।आस्तिक दर्शनों में न्याय,वैशेषिक,सांख्य,योग,मीमांसा,वेदान्त दर्शन प्रसिद्ध है। इन षड्विध दर्शनों में न्यायवैशेषिक दर्शन का अन्यतम स्थान है। भारतीय अर्थशास्त्र के प्रसिद्ध विद्वान् कौटिल्य ने इस दर्शन के विषय में अपना उद्गार व्यक्त करते हुए कहा है-
प्रदीपः सर्वविद्यानामुपायः सर्वकर्मणाम्।
आश्रयः सर्वधर्माणां विघोद्देशे प्रकीर्तिता।।—अर्थशास्त्र
इस न्याय दर्शन के प्रवर्तक आचार्य महर्षि गौतम हैं। जिन्होंने न्यायसूत्र का निबन्धन किया है। इस दर्शन में पाँच अध्याय, दश आह्निक, 84 प्रकरण तथा 528 सूत्र हैं। महर्षि गौतम ने प्रमाण प्रमेय निग्रहस्थान नामक सोलह पदार्थों का निरूपण इस दर्शन में किया है। आत्मा,शरीर,इन्द्रिय,अर्थ,बुद्धि,मन,प्रवृत्ति,दोष,प्रेत्यभाव,फल, दुख तथा अपवर्ग इन द्वादश प्रमेयों की चर्चा इस दर्शन में हुई है। इसके साथ ही वैशेषिक सूत्रकार महर्षि कणाद के द्वारा प्रणीत वैशेषिक सूत्र में प्रतिपादित द्रव्यादि सात पदार्थों का तथा पृथिव्यादि नव द्रव्यों का भी सुचारु निरूपण किया गया है। प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान तथा शब्द प्रमाण का विशद विवेचन न केवल न्यायदर्शन के लिए अपितु समग्र दर्शनसम्प्रदाय के लिए उपकारी है। इस शास्त्र के लिए संशय को आधार माना गया है। निर्णीत अथवा अनुपलब्ध अर्थ में न्याय की प्रवृत्ति नहीं होती है अपितु सन्दिग्ध अर्थ में ही न्यायशास्त्र की प्रवृत्ति होती है। अतएव न्याय भाष्यकार ने कहा है—नानुपलब्धे न निर्णीतेऽर्थेन्यायः प्रवर्तते अपितु संशयितेऽर्थे न्यायः प्रवर्तते। इस प्रकार न्यायशास्त्र की उपयोगिता वर्तमान सन्दर्भ में अत्यन्त प्रायोगिक है।

Summary
Course Status : Completed
Course Type : Elective
Duration : 15 weeks
Category :
  • Humanities and Social Sciences
Credit Points : 4
Level : Postgraduate
Start Date : 15 Jul 2019
End Date : 30 Oct 2019
Enrollment Ends : 10 Sep 2019
Exam Date : 09 Nov 2019 IST

Note: This exam date is subjected to change based on seat availability. You can check final exam date on your hall ticket.


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Course layout

WEEK 1 : 
न्याय वैशेषिक दर्शन की परम्परा

WEEK 2 :
न्याय वैशेषिक दर्शन की आचार्य परम्परा 

WEEK 3 : 
प्रमेय, संशय, प्रयोजन

WEEK 4: 
अवयवादि हेत्वाभास

WEEK 5 : 
छल, प्रमाण परीक्षा

WEEK 6 :
शब्दप्रमाण परीक्षा

WEEK 7 : 
आत्मा, बुद्धि

WEEK 8 : 
Assignment

WEEK 9 :
अवयवी 

WEEK 10 : 
पृथिवी से वायु तक

WEEK 11 : 
आकाश से मन तक

WEEK 12 : 
रूप से स्नेह गुण तक

WEEK 13 :
शब्द से प्रयत्न

WEEK 14 : 
धर्म से अभाव तक

WEEK 15 : 
Assignment

Instructor bio


प्रो. महानन्द झा
श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ

प्रो. महानन्द झा पिछले 17 वर्षों से दर्शन संकायस्थ न्याय वैशेषिक विभाग में शास्त्री एवं आचार्य कक्षाओं में उक्त शास्त्र का अध्यापन करते आ रहें हैं । इन के निर्देशन में अब तक 03 छात्रों का एम. फिल तथा 03 छात्रों का पीएच. डी. सम्पन्न हो चुका है । फिल हाल इन के निर्देशन में दो छात्रों का एम्. फिल. तथा 03 छात्रों का पीएच. डी में पंजीकरण हुआ है । आप के द्वारा अध्यापित 15 छात्र विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओॆ में अपनी सेवाएँ दे रहें हैं । आप के द्वारा अब तक 45 शोध निबन्ध तथा 11 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । वर्ष 2016 में इन्हें राष्ट्रपति द्वारा वादरायण व्यास सम्मान से सम्मानित किया गया है । 

Course certificate

“30 Marks will be allocated for Internal Assessment and 70 Marks will be  allocated for external proctored examination”




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